मैं रावण ही ठीक हूँ , मुझे झूठा राम नहीं बनना !!

आज  रामनवमी का दिन था, लोगो को देखा रामलीला देखते जाते तो सोचा आज मैं भी जरा हो आऊं। देखु तो सही रावण दहन कैसे होता है, राम की जीत कैसी होती है । वैसे भी दुर्गापूजा में रामलीला नहीं देखि तो आना व्यर्थ है । जल्दी आने के कारण आगे की पंक्ति मिली मुझे सच में ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे रावण सक्छात खड़ा हो मेरे सामने , बुराईयो से भरपूर, क्रोध और नरसंहार सी धधकती आँखे उसकी साथ में कुटिल मुश्कान पर अजीब सा तेज दिख रहा था आज उसके मुश्कान में | यूँ खड़े-खड़े इस दृस्य को निहार ही रहा था की एक सज़्ज़न जो बगल में खड़े थे वो बोल पड़े  | 

" आज रावण का नाश हो जायेगा मज़ा आएगा रावण को जलते देखकर" ये बोलते हुए अपनी दुर्लभ सी बत्तीसी दिखा हँसने लगे । मुझे अजीब सा लगा और जैसा की मैं हमेसा से व्यंगात्मक बाते करता आया हुँ आज भी व्यंग के लहजे में ही पूछ बैठा "ऐसा क्या है इस रावण में जो इसे जलते देख आपको ख़ुशी होगी ? और किसने कहा की रावण का नाश राम ने कर दिया है, क्या पता वो अब भी ज़िंदा हो हमारे बीच और क्यों हम रावण को ही दोसी मानते हैं , राम भी तो गलत हो सकते हैं कभी |

रावण बुरा था, अत्याचारी था सीता का हरण किया उसने तभी प्रभु राम ने वध किया उसका. रावण का हमेसा नाष होता है और राम हमेसा जिन्दा रहते हैं. सज्जन की इन बातों से वो बहुत ही ज्ञानी और आस्तिक प्रविति वाले मनुस्य  लग रहे थे |

मैं पूछ बैठा "आपको किसने कहा रावण बुरा था, अत्याचारी था , क्या उसकी प्रजा का कोई जिक्र किया गया है रामायाण में ? क्या सारी बुर्राइया रावण में ही थी क्या हमारे राम भगवन बहुत ही अच्छे और सच्चे थे ? वो सच में सबके मर्यादा पुरषोत्तम थे या सिर्फ बाल्मीकि की आँखों में वो मर्यादा पुरषोतम थे ?

तो तुम्हारे कहने का मतलब ये है की राम गलत थे और रावण सही ? तुम मुझे रावण के साइड वाले लगते हो शायद इसीलिए रावण को जलते देख तुम्हे तकलीफ हो रही है।  srilanka से हो क्या ? कहीं रावण तुम ही तो नहीं, हाँ शायद असली रावण तुम्ही हो जिसे रावण को जलते देख तकलीफ हो रही है. ग़ुर्रात्ते हुए एक सांस में उस सज़्ज़न ने सब कुछ कह दिया | 

हाँ मैं रावण ही हूँ और मुझे ये गलत नहीं लगता क्योंकि अगर आप जैसे लोग अप्पने आपको राम कहते हैं तो मैं रावण ही सही हूँ  कम से कम आप जैसे झूठे राम से अच्छा और सच्चा। आप इस कलयुग में किस राम की बात कर रहे हो या किस बुरे रावण की बात कर रहे हो, इस कलयुग में राम बनना नामुमकिन है और शायद असली रावण बनना भी नामुमकिन है पर हाँ लोग राम बनने का दिखावा जरूर कर सकते हैं  पर मैं उन्हें राम नहीं बलिक पाखंडी राम कहना पसंद करूंगा । 

अच्छा ये बताओ आप, किसने कहा की रावण बुरा तथा, महर्षि बाल्मीकि ने ही ना ? क्यों हम बाल्मीकि की नज़र से रावण को देखे, क्यों नहीं हम खुद्द की नज़रों से भी उसे तराशने की कोशिश करे । क्यों किसी के कहने से या लिखने से किसी को बुरा मान ले । क्या यह हमारी मूर्खता नहीं है , क्यों नहीं सिक्के की उस पहलु को देखने की कोशिश करते हैं जो सच्चा है जिसने उस महाज्ञानी महाबलशाली रावण को क्रूर और दुष्ट रावण कहलाने को मजबूर किया? क्यों हम अतीत की उस सच को अनदेखा कर देते हैं जिसने रामायण को जन्म दिया? और मैं कौन होता हूँ  या आप कौन होते हो ये फैसला करने वाले की कौन बुरा या कौन सही है ? चलो मैं मान लेता हु की मैं रावण हूँ और हाँ सच में मुझे तकलीफ हो रही है उसे इस तरह जलता देख पर इसलिए नहीं की मैं भी रावण हु पर शायद इस लिए की रावण दहन के साथ हमने राम और रावण की असली परिभाषा भी शायद दहन कर दी है!

किस बुरे रावण की बात आप कर रहे हो ? वो रावण की, जिसकी बहन का नाक-कान काट लिया राम के भाई लक्ष्मण ने, सिर्फ इसलिए की उसने लक्ष्मण से शादी करने की इच्छा की. या उस रावण की जिसने अपनी बहन का बदला लेने के लिए सीता का हरण किया। उस रावण का जिसने अपनी प्रजा पर कभी अत्याचार नहीं किया।  क्या आप उस बुरे रावण की बात कर रहे हो जिसने सीता का हरण तो किया पर कभी भी कोई गलत काम नहीं किया. क्या आप उस बुरे रावण  की बात कर रहे हो जिसने सीता को बंदी बना कर नहीं बल्कि आशोक वाटिका में रखा और सीता की मर्जी को हमेसा तरजीह दी ? आप उस रावण की तो बात नहीं कर रहे न जिसने खुद सीता को राम के पास ले जाकर यज्ञ पूरा करवाया ये जानते हुए भी की ये यज्ञ उसकी मृत्यु के लिए ही है। 
और आप किस अच्छे राम की बात कर रहे ? उस राम की जिसने राजा होते हुए भी आयोध्या छोर दी सिर्फ माँ के वचन के लिए , क्या प्रजा के प्रति कोई दायित्व नहीं था उनका ? उस अच्छे राम की बात कर रहे हो जिसने सीता को अग्नि परीक्षा देने पर मजबूर किया सिर्फ एक धोबिन के कहने पर।  क्या यही आपका मर्यादा पुरषोत्तम राम है ! क्या वही आपका मर्यादा पुरषोत्तम राम है जिसने अपने भाई को कोई सजा नहीं दी सुर्पनरेखा के साथ ऐसा करने के लिए |  उस राम की जिनके हनुमान ने लंका जला डाला और बलि को छुप कर मारा या फिर उस राम की जिसने रावण का वध तो किया पर फिर भी लक्ष्मण को भेज रावण के पास ज्ञान लेने |  

मैं ये तो नहीं  जनता की कौन गलत है और कौन सही|  रावण ही गलत हो या शायद राम नही । पर हमेशा हम दूसरों को किसी और की आँखों से देखने की कोशिश करते हैं | मनुष्य का संयोग ये है कि वो हमेशा एक कारण खोजता है या एक इंसान खोजता है जिसपे सारा इल्ज़ाम डाला जा सके और खुद अपने आप को पाक साफ बता राम बनने की कोशिश करता है । राम और रावण ये परिभाशा भी शायद उस इल्ज़ाम की परिभाशा हो, कौन जानता है।

और  कौन  है  ये असली  राम , सब  के  सब  सिर्फ राम बनने का  दिखावा  करते  हैं |  जो  इंसान  बड़ी -बड़ी  भाषण   देता  है  बच्चों  की  पढाई  और  उनपे हो रहे अत्याचार  पे, उनके घर में ही आप बाल मजदूर पाओगे . बिडम्बना ऐसी है की जो  दहेज़  के  खिलाप  भाषण  देते  देखे गए वे खुद  के  बेटे  की  शादी  में  वो दहेज़  मांगते देखे गए |  किसी  पे  अत्याचार होते हुए भी अपने  डर  के  कारन आँख  बंद  कर के चले जाना, जाती - धर्म को देखते हैं पर इंसान के कर्म को बाद में ऐसा क्यों | क्या यही राम की परिभाशा है, क्या यहाँ सब राम हैं अगर हाँ तो धन्यवाद् आपका ...मैंने अपने अंदर के उस झूठे राम को बचपन में ही मार दिया था, अब मैं  रावण ही  सही हूँ, कम से कम आपके नकली वाले राम से  अच्छा और सच्चा ।  एक सांस में ये सारी बातें कह दी , उस  सज्जन ने कुछ नहीं कहा। चुपचाप  देखते-देखते  कहीं चले गएँ । मैंने भी ध्यान नहीं दिया | 

पलट कर देखा तो राम की वेशभूषा धरे कुछ लोग धनुष  बाण लिए खड़े थे, गौर से देखा तो याद आया ये तो वही लोग हैं जिन्हें कुछ दिन पहले मैंने शराब पीते देखा और कॉलेज  की लड़कियों को छेड़ते देखा था ! खैर , आज वो हमारे राम है, मर्यादा पुरषोतम  राम !! :) 
धनुष  से  बाण  निकलती है और रावण के  पुतले  में  आग  लगती  है ।  धीरे - धीरे आग  की लपटों में घिरता हुआ रावण का पुतला सच में डरावना और भयानक लग रहा था।  पर  उसके दस सिर को देखा  तो वो अब भी  मुस्कुरा रहा  था ।  तनिक  भी  डर  नहीं , कोई  ग्लानि  नहीं  .. वो  मुस्कुरा  रहा  था  शायद  हमारे  अन्धविश्वास  पे , हमारे  कमजोरियों  पे  या  शायद  हम  सब लोगों पर जो  झूठे  राम  बनने  का ढोंग करते हैं ।  जो  अपने  स्वार्थ  के  लिए  समाज  में  फैले  हुए  कुरीतियों  के  खिलाफ  चुप  है , जो सिर्फ खुद को देखता है और खुद ककी सोचता है ये भूलते हुए की समाज, मुष्यता और अपने आस्तित्व के  प्रति भी कोई दायित्व है हमारी । 
आज  रावण  हंस   रहा  था .. सच  में  !! 
काश .. मैं  रावण  ही  बन  जाऊं  तो  अच्छा  रहे, आज के  इन  झूठे  और कपटी राम  से  तो  कहीं  अच्छा  है  वो  सच्चा  रावण !!


विजयादशमी की आप सबको हार्दिक शुभकामना !! 


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